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योगी सरकार 15 माह के कार्यकाल में रही पूरी तरह फ्लॉप: अखिलेश यादव

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लखनऊ । समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने  आज प्रदेश की योगी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि अपने 15 माह के कार्यकाल में इस सरकार ने एक भी काम ऐसा नही किया जो जनहित का कहा जा सके। और तो और जो काम हमारी सरकार के दौरान जनहित के जारी थे उन्हें भी महज बदले की भावना के चलते ठप करा दिया गया। लखनऊ की जीवनधारा गोमती नदी इस बात का बखूबी सबूत है कि आज उसकी दशा क्या हो गई है।

आज जारी एब बयान में अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा की राज्य सरकार अपने 15 महीने के कार्यकाल में अपनी एक भी उपलब्धि गिनाने में सफल नहीं है। इस बीच जनहित के किसी कार्य की शुरूआत भी नहीं हो सकी। राजधानी लखनऊ की जीवनधारा गोमती नदी को निर्मल बनाने की योजना समाजवादी सरकार में बनाई थी और उस दिशा में ठोस कदम उठाए थे।

इतना ही नही हमारी सरकार ने गोमती नदी के किनारे विश्वस्तरीय रिवरफ्रंट बनाया जहां बड़ी संख्या में लोगों का आना जाना लगा रहता है। भाजपा सरकार ने आते ही बदले की भावना से समाजवादी सरकार के जनहित के लोकप्रिय निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी। रिवरफ्रंट की हरियाली समाप्त कर दी और वहां लगे फाउन्टेन आदि बेकार हो गए। अब तो पूरी गोमती नदी में भयावह स्थिति तक जलकुम्भी का साम्राज्य है।

बेहद गंभीर बात है कि आज गोमती नदी अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। नदी में गंदे नालों का गिरना जारी है। नदी की सफाई की बस बाते भर होती है। दिखावे के लिए मुख्यमंत्री जी भी पहुंच गए लेकिन नदियों को निर्मल प्रवाहमान बनाए रखने की इच्छाशक्ति भाजपा में नहीं है। स्वयं प्रधानमंत्री जी के क्षेत्र वाराणसी में गंगा आज भी मैली है। काली नदी की सफाई किए बगैर गंगा नदी की स्वच्छता सम्भव नहीं है। यमुना नदी तो मृत प्रायः हो गयी है।

साथ ही कहा कि  राजधानी लखनऊ को स्मार्ट सिटी बनाने का सपना तो दिखाया गया लेकिन इसके लिए इमानदारी से ठोस प्रयास नहीं किए गए। केन्द्र सरकार के शहरी विकास मंत्रालय के सर्वेक्षण के अनुसार 100 स्वच्छ शहरों में लखनऊ फिसड्डी माना गया है। प्रदेश के अधिकतर शहरों में सफाई की स्थिति काफी खराब पाई गई है। प्रधानमंत्री जी की वाराणसी 29वें नम्बर पर है। स्वच्छ भारत अभियान की वास्तविकता के दर्शन तो किसी गली मुहल्लें में जाकर किए जा सकते हैं। सड़कों को गड्ढा मुक्त करने का हल्ला भी खूब मचाया गया। भाजपा राज में सड़कें जरूर खो गईं।

उन्होंने कहा कि दरअसल सच तो यह है कि भाजपा के पास जनकल्याण की न तो भावना है और नहीं उस बारे में कोई दृष्टि है। किसी ठोस योजना और संकल्पशक्ति का भी उसमें अभाव है। सत्ता उसके लिए सिर्फ अपने स्वार्थ साधन का माध्यम है। जबकि समाजवादी सत्ता और राजनीति को सेवा का माध्यम मानना है।

वहीं ये भी कहा कि भाजपा की केन्द्र और राज्य की सरकारों को डबल इंजन की सरकार कहकर जनता को भुलावे में डाला गया था। इसकी सच्चाई से अब जनता अच्छी तरह अवगत हो गई है। इन सरकारों से जनसामान्य का पूरी तरह मोहभंग हो गया है। सन् 2019 में भाजपा के विकास विरोधी आचरण पर जनता अविश्वास की मुहर लगाकर अपना निर्णय देगी।

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