Saturday , October 12 2024
Breaking News

स्वामी बोले समलैंगिकता है ‘हिंदुत्व विरोधी’ इस बीमारी का होना चाहिए इलाज

Share this

नई दिल्ली। देश में  सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता को अपराध बनाने वाली आईपीसी की धारा 377 खत्म करने के लिए दायर याचिकाओं पर सुनवाई शुरू कर दी है। वहीं इस मुद्दे को लेकर भारतीय जनता पार्टी के सांसद और वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने बड़ा बयान दिया है।

गौरतलब है कि स्वामी ने समलैंगिकता को ‘हिंदुत्व विरोधी’ बताते हुए इसमें रुचि रखने वाले लोगों का इलाज कराने की बात ​कही है। भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा कि समलैंगिक होना सामान्य बात नहीं, बल्कि ये हिंदुत्व के खिलाफ है। हम इसका जश्न नहीं मना सकते। उन्होंने दावा किया कि मेडिकल रिसर्च की मदद से इस पर छुटकारा पाया जा सकता है।

इतना ही नही स्वामी ने कहा कि सरकार को इस बात पर भी विचार करना चाहिए कि इस बारे में फैसला देने के लिए सात या नौ जज की पीठ हो। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ मामले की सुनवाई कर रही है। जिसमें चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस रोहिंग्टन आर नरीमन, जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड और जस्टिस इंदू मल्होत्रा शामिल हैं।

ज्ञात हो कि दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि आपसी सहमति से बने समलैंगिक संबंधों को अपराध नहीं माना जाएगा। हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को पलटते हुए समलैंगिक संबंधों को आईपीसी की धारा 377 के तरह अवैध घोषित कर दिया। इस समय धारा 377 के तहत अगर कोई स्‍त्री-पुरुष समलैंगिंक यौन संबंध बनाते हैं तो 10 साल की सजा व जुर्माने का प्रावधान है। ये कानून अंग्रेजों के जमाने में बना था. इसे रद्द करने वाले इस बात की दलील भी देते हैं कि ब्रिटेन में ये कानून खत्म कर दिया गया है, तो फिर भारत में ये कानून अभी तक क्यों है।

Share this
Translate »