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योगी सरकार पर आप का बड़ा आरोप- बोले कुंभ मेले में किया भ्रष्टाचार- कार, मोपेड और स्कूटर के नंबर पर खरीदे 32 ट्रैक्टर

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लखनऊ. आम आदमी पार्टी ने नियंत्रक एवं लेखा महा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट के आधार पर उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के खिलाफ वर्ष 2019 में प्रयागराज में आयोजित कुंभ मेले में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है.

रिपोर्ट के अनुसार क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय के अभिलेखों से मेसर्स स्वास्तिक कंस्ट्रक्शन से संबंधित सत्यापन रिपोर्ट में उल्लिखित 32 ट्रैक्टरों की पंजीकरण संख्या के सत्यापन में पाया गया कि 32 में से चार ट्रैक्टरों के पंजीकरण नंबर एक मोपेड, दो मोटरसाइकिल और एक कार के थे.

रिपोर्ट के मुताबिक इसके अलावा, विभिन्न विभागों ने भी अपने बजट से कुम्भ मेले से संबंधित कार्यों, सामग्री खरीदने के लिए धन जारी किया था, हालांकि अन्य विभागों द्वारा निर्गत धन की जानकारी मेला अधिकारी ने उपलब्ध नहीं कराई जिससे व्यय की समग्र स्थिति का पता नहीं लगाया जा सका.

लेखा परीक्षा के अनुसार कुम्भ मेले के लिए उपकरणों की खरीद के लिए राज्य आपदा राहत कोष से गृह (पुलिस) विभाग को 65.87 करोड़ रुपये का आवंटन किया, जबकि राज्य आपदा राहत कोष का उपयोग केवल चक्रवात, सूखा, भूकंप, आग, बाढ़, सुनामी, भूस्खलन आदि से पीडि़त लोगों को तत्काल राहत प्रदान करने के लिए होता है.

रिपोर्ट में वित्तीय स्वीकृति से अधिक या बगैर वित्तीय स्वीकृति के कार्य कराए जाने के मामले भी सामने आए हैं. नगर विकास विभाग ने मेला क्षेत्र में टिन, टेंट, पंडाल, बैरिकेडिंग कार्यों के लिए 105 करोड़ रुपये की वित्तीय स्वीकृति प्रदान की थी, जबकि मेला अधिकारी ने 143.13 करोड़ रुपये के कार्य कराए. इससे 38.13 करोड़ रुपये की देनदारियों का सृजन हुआ.

इसी तरह, लोक निर्माण विभाग के प्रांतीय खंड ने नगर विकास विभाग से वित्तीय स्वीकृति प्राप्त किए बगैर सड़कों की मरम्मत एवं सड़कों के किनारे पेड़ों पर चित्रकारी से संबंधित 1.69 करोड़ रुपये की लागत से छह कार्य कराए. इसमें से एक कार्य के लिए 52.86 लाख रुपये का भुगतान एक अन्य कार्य की बचत की धनराशि से किया गया जो कि अनियमित था.

लेखा परीक्षा जांच में पाया गया कि तीन कार्य उन निविदादाताओं को दिए गए जो बोली लगाने की क्षमता के आधार पर निविदा के लिए पात्र नहीं थे. वहीं, फाइबर प्लास्टिक शौचालयों (सैप्टिक टैंक.. सोकपिट) के लिए समिति द्वारा निर्धारित मानक कीमतें, फर्मों द्वारा इच्छा पत्र में डाली गई कीमतों से अधिक थीं और निविदा की दरें और भी अधिक थीं.

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