नई दिल्ली. केन्द्र की मोदी सरकार एक अक्टूबर से श्रम कानून के नियमों में बदलाव करने की तैयारी में है. अगर यह नियम लागू हुआ तो एक अक्टूबर से आपका ऑफिस टाइम बढ़ जाएगा. नए श्रम कानून में 12 घंटे काम करने का प्रस्ताव दिया गया है. इसके अलावा आपकी इन हैंड सैलरी पर भी इस कानून का असर पड़ेगा. आइए जानते हैं नया लेबर कोड का आप पर क्या कुछ प्रभाव पड़ सकता है.
नए ड्राफ्ट रूल के अनुसार, मूल वेतन कुल वेतन का 50% या अधिक होना चाहिए. इससे ज्यादातर कर्मचारियों की वेतन संरचना बदलेगी, क्योंकि वेतन का गैर-भत्ते वाला हिस्सा आमतौर पर कुल सैलेरी के 50 फीसदी से कम होता है. वहीं कुल वेतन में भत्तों का हिस्सा और भी अधिक हो जाता है. मूल वेतन बढ़ने से आपका पीएफ भी बढ़ेगा. पीएफ मूल वेतन पर आधारित होता है. मूल वेतन बढ़ने से पीएफ बढ़ेगा, जिसका मतलब है कि टेक-होम या हाथ में आने वाला वेतन में कटौती होगी.
ग्रेच्युटी और पीएफ में योगदान बढ़ने से रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली राशि में इजाफा होगा. इससे लोगों को रिटायरमेंट के बाद सुखद जीवन जीने में आसानी होगी. ज्यादा भुगतान वाले अधिकारियों के वेतन संरचना में सबसे अधिक बदलाव आएगा और इसके चलते वो ही सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे. पीएफ और ग्रेच्युटी बढ़ने से कंपनियों की लागत में भी वृद्धि होगी. क्योंकि उन्हें भी कर्मचारियों के लिए पीएफ में ज्यादा योगदान देना पड़ेगा. इन चीजों से कंपनियों की बैलेंस शीट भी प्रभावित होगी.
काम के घंटे 12 घंटे करने का प्रस्ताव
नए ड्राफ्ट कानून में कामकाज के अधिकतम घंटों को बढ़ाकर 12 करने का प्रस्ताव पेश किया है. ओएसच कोड के ड्राफ्ट नियमों में 15 से 30 मिनट के बीच के अतिरिक्त कामकाज को भी 30 मिनट गिनकर ओवरटाइम में शामिल करने का प्रावधान है. मौजूदा नियम में 30 मिनट से कम समय को ओवरटाइम योग्य नहीं माना जाता है. ड्राफ्ट नियमों में किसी भी कर्मचारी से 5 घंटे से ज्यादा लगातार काम कराने को प्रतिबंधित किया गया है. कर्मचारियों को हर पांच घंटे के बाद आधा घंटे का विश्राम देने के निर्देश भी ड्राफ्ट नियमों में शामिल हैं.
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