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यूएसए की रिपोर्ट में खुलासा: आधुनिक हथियारों के बावजूद ऊंची जगहों पर युद्ध लडऩे में फिसड्डी साबित होगी चीनी सेना

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बीजिंग. दुनियाभर में अपनी ताकत दिखाने के लिए बीते दशकों में चीन ने आधुनिकतम हथियारों का जखीरा इक_ा किया है. देश के कम्युनिस्ट शासन ने सामरिक रूप से खुद को मजबूत करने के लिए बड़ी मात्रा में निवेश किया है. लेकिन इसके बाजवूद भी चीनी सेना ऊंची जगहों पर युद्ध नहीं लड़ सकती है. यह बात अमेरिका की एक मैगजीन नेशनल इंटरेस्ट की रिपोर्ट में कही गई है.
मैगजीन का कहना है कि चीन के पास आधुनिकतम हथियार तो मौजूद हैं, लेकिन किसी भी युद्ध जैसी स्थिति में इन हथियारों को ऊंची जगहों पर पहुंचाने की व्यवस्था नहीं है. ऐसी स्थिति में आमने-सामने की लड़ाई चीनी सेना युद्ध नहीं लड़ पाएगी.

सैन्य क्षमता का प्रदर्शन कर रही चीनी सेना

बता दें हाल ही में अपनी सैन्य क्षमता प्रदर्शित करने के लिए चीन सेना ने पश्चिमी इलाकों में नए रॉकेट और युद्धक हथियारों की टेस्टिंग की है. इनमें पीएचएल-11 मल्टी रॉकेट लॉन्चर, पीएचएल-03 लॉन्ग रेंज रॉकेट लॉन्चर और पीसीएल होवित्जर तोप का प्रदर्शन किया गया है. चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने इस संबंध में रिपोर्ट की थी. इन हथियारों के जरिए ऊंची जगहों पर लाइव फायर एक्सरसाइज की गई.

हथियार और साजोसामान ऊपर पहुंचाने में सक्षम नहीं

लेकिन इन सबके बीच चीन के पास अमेरिकी चिनुक हेलिकॉप्टर जैसे किसी साधन की जरूरत है जो हथियारों को आसानी के साथ ऊंची जगहों पर पहुंचा सके. ये हेलिकॉप्टर मोबाइल आर्टिलरी और रॉकेट लॉन्चर तक को ऊंची जगहों पर पहुंचा सकने में सक्षम है.

चीन के पास जेड-8 कार्गो ट्रांसपोर्सट हेलिकॉप्टर हैं. इन हेलिकॉप्टर्स की क्षमता अमेरिकी चिनुक के मकाबले आधी भी नहीं है. चीन के हेलिकॉप्टर 20 हजार पाउंड तक का भार उठा सकते हैं जबकि चिनुक की क्षमता 50 हजार पाउंड भार उठाने की है. ये दिखाता है कि अगर चीनी सेना को अपने सैनिकों या फिर साजोसामान को ऊपर पहुंचाना पड़ा तो बड़ी दिक्कतें सामने आएंगी.

भारत के पास मौजूद हैं चिनुक और अपाचे

इससे पहले चिनुक हेलिकॉप्टर पहाड़ों पर हैवी मशीन और होवित्जर तोप भी पहुंचाते रहे हैं. चिनुक हेलिकॉप्टर एम777 होवित्जर तोप आराम से पहुंचा सकता है. बता दें कि इस मामले में ड्रैगन के मुकाबले भारत भारी पड़ता है. दरअसल भारत ने बोइंग से 22 अपाचे और 15 चिनूक सैन्य हेलीकाप्टरों खरीदे थे जिनकी सप्लाई बीते साल भारतीय वायुसेना को को पूरी कर दी गई थी. ये हेलिकॉप्टर भारतीय सशस्त्र बलों की जरूरतों को पूरा करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं.

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