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गुजरात में भूपेंद्र कैबिनेट के नए मंत्रियों ने ली शपथ, शाम को मंत्रिमंडल की पहली बैठक में बटेंगे विभाग

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गांधीनगर. गुजरात में भूपेंद्र पटेल के मंत्रिमंडल विस्तार के क्रम में मंत्रियों का शपथ ग्रहण कार्यक्रम शुरू हो चुका है. राज्यपाल देवव्रत आचार्य मंत्रियों को शपथ दिला रहे हैं. इससे पहले 5 कैबिनेट मंत्रियों ने एक साथ शपथ ली. शपथ लेने वाले मंत्रियों में राजेंद्र त्रिवेदी, जीतू वघानी, ऋषिकेश पटेल, पूर्णेश मोदी, राघवजी पटेल ने मंत्री के तौर पर शपथ ली.

वहीं कनुभाई देसाई, किरीट सिंह राणा, नरेश पटेल, प्रदीप परमार, अर्जुन सिंह चौहान ने भी मंत्री पद की शपथ ली. बता दें कि ये शपथ ग्रहण कार्यक्रम बुधवार को होना था, लेकिन कुछ कारणों की वजह से टल गया था. शपथ ग्रहण के बाद शाम 4.30 बजे नए मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के कैबिनेट की पहली बैठक होगी.

इससे पहले बीजेपी की गुजरात इकाई के अध्यक्ष सीआर पाटिल ने बुधवार सुबह कहा था कि नए मंत्रियों का शपथ ग्रहण दोपहर 2 और 4 बजे के बीच लगभग फाइनल है. खबर के अनुसार, बुधवार को दोपहर 3:30 बजे तक लिंबड़ी विधायक किरित सिंह राणा के समर्थक सुरेंद्रनगर से राजभवन पहुंच चुके थे. उन्हें खबर मिली थी कि उनके विधायक नए मंत्रियों में शामिल होंगे. हालांकि, तब तक आयोजन स्थल से कार्यक्रम के पोस्टर हटा लिए गए थे.

विजय रुपाणी सरकार में मंत्री रहे एक विधायक ने कहा कि कुछ मंत्रियों को जब यह पता चला कि वे नए मंत्रिमंडल में शामिल नहीं हैं, तो उन्होंने विरोध किया. पूर्व मंत्री ने कहा, ‘सभी वरिष्ठ मंत्रियों को हटाया जाना था. नए काउंसिल में एक को भी दोबारा नहीं लिया जाना था. इसके चलते हमें अपनी आवाज उठानी पड़ी.’ रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया कि पाटिल निकाय चुनावों में टिकट वितरण में सख्त मानदंड तय किए हैं. इसमें यह भी शामिल है कि जो उम्मीदवार तीन कार्यकाल पूरा कर चुके हैं, उन्हें दोबारा मौका नहीं दिया जाएगा. ‘मौजूदा विधायकों और मंत्रियों को डर है कि इससे उनका राजनीतिक करियर खत्म हो जाएगा.’

रिपोर्ट के अनुसार, बीजेपी के एक शीर्ष सूत्र ने कहा, ‘केंद्र और राज्य के शीर्ष नेताओं ने मंगलवार दोपहर को बाहर जा रहे सभी मंत्रियों को एक-एक कर बुलाया था और अलग-अलग बैठक की थी. बताया गया कि उन्हें मंत्रिमंडल में फॉर्मूला का हिस्सा होने के चलते जगह नहीं दी जाएगी.’ सूत्र ने कहा कि बुधवार को राज्य मंत्रियों को तलब किया गया और उन्हें भी यही चीज कही गई. गांधीनगर से एक शीर्ष नेता ने कहा कि तारीख में बदलाव इसलिए हुआ था, क्योंकि ‘महूर्त सही नही था.’ जब उनसे नाराज नेताओं को लेकर सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा, ‘अगर वे हैं भी, तो क्या इसे सहन किया जाएगा?’

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