देखने में और कहने सुनने में आज जमाना चाहे कितना भी क्यों न बदल गया हो, भले ही चिट्ठियों की जगह अब एस एम एस ने ले ली है, व्हाट्स एप, फेसबुक के अलावा और भी बहुत सी सोशल साइट्स लोग घंटों चैटिंग करते रहते हैं लेकिन डाकिए की अहमियत आज भी बहुत है। क्योंकि सरकारी डाक विभाग की जिम्मेदारियां पहले की तरह ही बनी हुई है। शायद हमें और आपको यह जानकर बेहद हैरत हो सकती है कि हमारे देश में लगभग 37,160 लोग डाकिए की नौकरी कर रहे हैं। हालांकि इनमें से 2708 लेडी पोस्ट मैन हैं लेकिन अब तक उनमें एक भी महिला डाकिया मुस्लिम समुदाय से नहीं रही थी।
गौरतलब और बेहद ही फक्र की बात है कि आंध्र प्रदेश की रहने वाली जमीला को देश की पहली मुस्लिम महिला पोस्टमैन होने का दर्जा मिला है। जमीला हैदराबाद के महबूबाबाद जिले के गरला मंडल की लेडी पोस्टमैन के रूप में नियुक्त हुई हैं। जमीला के पति की ख्वाजा मियां की कुछ साल पहले मौत हो गई थी। छोटे-छोटे बच्चों का पालने के लिए उन्हें बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा। बाद में संजोग से उन्हें पति की जगह पर डाकिए की नौकरी मिल गई। इसके बाद जमीला पहली मुस्लिम महिला डाकिया बन गईं। अब जमीला अपने इलाके में घर-घर जाकर डाक सामग्री बांटती है।
इससे भी फक्र और ध्यान देने की बात है कि पति की मौत के बाद तमाम दुश्वारियों के बीच जिस लगन और हौसले के साथ जमीला ने अपने बच्चों की बेहद सलीके से परवरिश की है वो भी हमारे पूरे समाज के लिए एक गर्व और प्रेरणा की बात है क्योंकि जब पति की मौत हुई तब जमीला की बड़ी बेटी पांचवी क्लास में थी। इसके अलावा वह घर चलाने के लिए साड़ियां बेचती हैं और कुछ पैसे कमा लेती हैं। जमीला के शिद्दत और हौसले के साथ किये गये संघर्ष के चलते ही ऊपरवालें की मेहरबानी से आज उनकी बड़ी बेटी इंजीनियरिंग तो छोटी बेटी डिप्लोमा की पढ़ाई कर रही है।
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