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कथा वाचक देवकीनंदन ठाकुर बोले- तिलक व कंठी माला पहनने वाले होते सांसद तो नहीं बनता यह कानून

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कानपुर. उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान विख्यात कथा वाचक देवकीनंदन ठाकुर महाराज ने कहा कि संसद में 25 सांसद धर्माचार्य होने चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर संसद में तिलक और कंठी माला पहनने वाले सांसद होते तो लिव इन रिलेशनशिप पर कभी कानून नहीं बन पाता. देवकीनंदन ने कहा कि सनातन काल में राजा के सभा में धर्माचार्य होते तो सनातन धर्म की सही जानकारी और सही सलाह देते. उन्होंने आगे कहा कि मौजूदा समय में जो हालात चल रहे हैं उसे देखते हुए संसद में इसकी जरूरत है. धर्माचार्य किसी भी पार्टी का हो इसकी परवाह नहीं है.

कानपुर आए हैं देवकीनंदन महाराज

बता दें कि देवकीनंनद महाराज इन दिनों कानपुर के मोतीझील मैदान में श्रीमद्भागवत कथा करने आए हैं. वहीं मंगलवार को आर्यनगर के एक होटल में उन्होंने प्रेस काफ्रेंस के दौरान कहा कि भारतीय संस्कृति को पूर्व की सरकारों ने ताक पर रख दिया है. सनातन संस्कृति को आज जितना सम्मान मिल रहा है, उतना ही सम्मान मिलता रहा होता तो आज हम विश्वगुरू बन गए होते. इसके अलावा उन्होंने कहा कि अगर हिंदू में सहनशीलता नहीं होती तो वह अपने आराध्य की जगह के लिए ज्ञानवापी और मथुरा की कोर्ट में कानूनी लड़ाई नहीं लड़ रहा होता.

पहले की सरकारों पर बोला हमला

उन्होंने आगे कहा कि उस जगह को मांग रहे हैं जो पहले से ही हमारी है. देवकीनंनद महाराज ने कहा कि हम जानते हैं कि एक दिन संविधान के हिसाब से काशी शिवमय और मथुरा कृष्णमय होगा. काशी-मथुरा पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि अयोध्या, काशी-मथुरा हमें दे दो. उसके बदले में हमसे 300 मस्जिद ले लो. उन्होंने पूर्व की सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा कि पहले कि सरकार काला कानून लेकर आई थीं. उन्होंने कहा कि हम अपने समुदाय के लिए कोर्ट नहीं जा सकते थे. देवकीनंदन महराज ने कहा कि भाईचारा सिर्फ एक तरफ से निभाया गया और हमें केवल चारा बनाया गया.

सनातन धर्म को दे रहे बढ़ावा

इसके बाद देवकीनंनद महराज ने कहा कि हमने जनसंख्या की रोकथाम के लिए कोर्ट में याचिका डाली है. सभी देशों में जितने भी अल्पसंख्यक मौजूद हैं, उन्हें भी सभी सुविधाएं और सम्मान मिलना चाहिये. अमरावती जैसी घटनाओं को रोकने के लिए जन जागृति अभियान चलाया जा रहा है. जब उनसे राजनीति में आने का सवाल किया गया तो उन्होंने कहा हंसते हुए खुद ही सवाल पूछ लिया कि राजनीति में आना चाहिए कि नहीं. उन्होंने कहा कि उनका काम राजनेताओं से बढ़कर है. उन्होंने कहा कि अगर वह राजनेता होते तो सब उन पर आरोप लगा रहे होते, वह धर्माचार्य हैं इसलिए सभी उनसे प्यार करते हैं. 

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