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बैंकों में ऐसी रकम है 11 हजार करोड़ के पार, जिसका कोई भी नही है दावेदार

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बेंगलुरु। PNB महाघोटाले के बाद मचे हड़कम्प के चलते बैंकों में जारी जांच में जब तब कई नई और दिलचस्प जानकारियां सामने आना जारी हैं। इसी क्रम में जहां एक ओर आर.बी.आई. ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि बैंकों में ग्राहकों के धन में से सिर्फ एक लाख रुपया ही सुरक्षित है। वहीं, दूसरी बात अब यह सामने आई है कि देश के 64 बैंकों के 3 करोड़ से ज्यादा खातों में जमा 11,300 करोड़ रुपयों का कोई दावेदार ही नहीं है। हाल ही में रिजर्व बैंक के डाटा के अनुसार यह बात सामने आई है।

गौरतलब है कि बिना दावेदारी वाले खातों में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया सबसे आगे हैं। जिसके तहत एस.बी.आई. में 1262 करोड़ रुपए, पी.एन.बी. 1250 करोड़ रुपए निष्क्रिय खातों में पड़े हैं। इसके अलावा सरकारी बैंकों में 7,040 करोड़ रुपए बिना दावेदारी के हैं।

आर.बी.आई. के मुताबिक, 7 प्राइवेट बैंकों ऐक्सिस, डीसीबी, एच.डी.एफ.सी., आई.सी.आई.सी.आई., इंडसइंड, कोटक महिंद्रा और यस बैंक के पास ऐसी कुल 824 करोड़ रुपए की धनराशि जमा है जिनका कोई भी दावेदार नहीं है। 12 अन्य प्राइवेट बैंकों के पास 592 करोड़ रुपए जमा हैं।

इसी प्रकार प्राइवेट बैंकों में भी 1,416 करोड़ रुपयों का कोई दावेदार नहीं है।  जिसके तहत आई.सी.आई.सी.आई. बैंक के पास 476 करोड़ और कोटक महिंद्रा बैंक के पास 151 करोड़ रुपए की रकम ऐसी जमा है जिसका कोई दावेदार नहीं है। हालांकि 25 विदेशी बैंकों के पास ऐसी जमा रकम केवल 332 करोड़ रुपए है जिसमें सबसे ज्यादा 105 करोड़ रुपए एचएसबीसी बैंक के पास जमा हैं जिसका कोई दावेदार नहीं है।

ज्ञात हो कि आई.आई.एम. बेंगलुरु में फॉर्मर आर.बी.आई. चेयर प्रफेसर चरण सिंह ने कहा, ‘इन जमाओं में ज्यादातर रकम ऐसे अकाउंट होल्डर्स की है जिनकी मौत हो चुकी है या जिनके पास कई बैंकों में अकाउंट हैं। ऐसी संभावना नहीं है कि इसमें से ज्यादातर या कुछ रकम बेनामी हो।’ बैंकिंग रेग्युलेशन ऐक्ट 1949 के सेक्शन 26 के मुताबिक हर कैलेंडर इयर के समाप्त होने के 30 दिनों के भीतर भारत के सभी बैंकों अपने ऐसे अकाउंट्स की जानकारी आर.बी.आई. को देनी होती है जिन्हें 10 साल से इस्तेमाल नहीं किया गया है।

हालांकि बैंकिंग रेग्युलेशन ऐक्ट 1949 के सेक्शन 26ए कहता है कि 10 साल के बाद भी रकम जमा करने वाले व्यक्ति इस रकम पर दावा कर सकते हैं और बैंकिंग कंपनी इस रकम को वापस करने के लिए बाध्य है। बैंकिंग लॉ (संशोधित) ऐक्ट, 2012 के नियम मुताबिक बनाए गए डिपॉजिटर ऐजुकेशन ऐंज अवेयरनेस फंड में इन निष्क्रिय खातों की रकम को जमा कर दिया जाता है।

 

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