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कुत्तों का लाइसेंस: काम आवारा का भरपाई करें पालतू, खुद ही जानें कितना कारगर कितना फालतू

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लखनऊ। एक कहावत है कि ‘करे कोई और भरे कोई’ जी! यह काफी हद तक मौजूदा एक मामले में बिलकुल ही फिट बैठती है क्योंकि हाल के कुछ समय में प्रदेश के कई जनपदों समेत खासकर सीतापुर में आवारा कुत्तों द्वारा कई बच्चों की जान लिये जाने पर अपनी नाकामी का ठीकरा अब लखनऊ नगर निगम कुत्ते पालने वालों पर फोड़ने में लग गया है। जिसके तहत लखनऊ नगर निगम ने कुत्ता पालने के लिए लाइसेंस बनवाना अनिवार्य कर दिया है। जिसके चलते अब अपने कुत्ते का लाइसेंस बनवाने के लिए लखनऊ नगर निगम में भारी भीड़ लग रही है।

बताया जाता है कि आदमखोर कुत्तों के बढ़ते खूंखार कारनामों पर लगाम लगाने के लिए प्रशासन की तरफ से ये कवायद शुरू की गई है। लखनऊ नगर निगम में बात करने पर मिली जानकारी के अनुसार लाइसेंस बनवाने के लिए 8 काउंटर खोल दिए गए हैं। इसके लिए 8 टीमें गठित कर दी गई हैं। साथ ही सर्च ऑपरेशन भी जारी है। उन्होंने बताया कि 30 मई तक लोग लाइसेंस बना सकते हैं। इसके बाद प्रशासन सख्ती से पेश आने वाला है।

ज्ञात हो कि प्रशासनिक आंकड़ों के मुताबिक सीतापुर में 3 महीनों के अंदर 10 बच्चों को आवारा कुत्तों ने मौत के घाट उतारा दिया है। इस बाबत प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी आवारा कुत्तों पर लगाम लगाने के निर्देश दिए थे।

गौरतलब है कि अगर लोगों की मानें तो उनके अनुसार ये बात ठीक है कि कुत्ते पालने के लिए लाइसेंस होना चाहिए लेकिन सबसे अहम और दिलचस्प बात है कि इस कवायद से भला उन आवारा कुत्तों का आतंक कम या खत्म हो जायेगा। क्योंकि उनके अनुसार घरों में पाले जाने वाले कुत्तों द्वारा तो बच्चों के साथ ऐसा नही किया जा रहा था।

वहीं लोगों का मानना है कि दरअसल आवारा कुत्तों से तो संबंधित विभाग निपटने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहा है तो ऐसे में अपनी इस नाकामी को छिपाने और कमाने दोनों ही के लिए यह शिगूफा फिलहाल अच्छा ही है।

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