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पॉक्सो एक्ट में संशोधन का असर, पहला दरिंदा लटकेगा जल्द ही फांसी पर

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इंदौर। हाल ही में मासूमों से जारी दरिंदगी के बीच पॉक्सो एक्ट में किये गये संशोधन की बानगी रही कि 4 माह की मासूम के साथ दुष्कर्म और हत्या के आरोपी को कोर्ट ने दोषी करार देते हुए दोहरी फांसी की सजा सुनाई है। कड़ी सुरक्षा के बीच भारी पुलिस बल के साथ आरोपी दरिंदे नवीन को कोर्ट रुम नंबर 55 में लाया गया। हालांकि आज इस सुनवाई के दौरान मीडिया कर्मियों को कोर्ट रूम के भीतर जाने पर रोक लगाई गई थी।

गौरतलब है कि वारदात 20 अप्रैल तड़के हुई थी जब आरोपी दरिंदे नवीन द्वारा उक्त 4 माह की मासूम को उठाकर दुष्कर्म करने के बाद उसकी हत्या कर फेक दिया गया था। ज्ञात हो कि इंदौर के राजवाड़ा क्षेत्र में ओटले पर सो रहे परिवार ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उनकी साढ़े तीन माह की बच्ची गायब है। पुलिस ने पड़ताल शुरू की तो बच्ची का शव शिवविलास पैलेस के एक कॉम्प्लेक्स में पड़ा मिला। बच्ची की हत्या के पहले उससे दुष्कर्म हुआ था।

वहीं स्पेशल टीम ने महज 12 घंटे में आरोपित नवीन उर्फ अजय घडके को हिरासत में ले लिया था। वारदात के 7वें दिन 27 अप्रैल को अभियोजन का पक्ष रख रहे जिला अभियोजन अधिकारी अकरम शेख ने आरोपित के खिलाफ चालान और ट्रायल प्रोग्राम पेश कर दिया था। बेहद अहम और काबिले तारीफ है कि जज ने 7 दिन तक सात-सात घंटे सिर्फ इसी केस को सुना और 21 दिन में सुनवाई पूरी होने के बाद 23वें दिन फैसला सुना दिया। बता दें कि नया कानून बनने के बाद यह पहला मामला है, जहां आरोपी को फांसी की सजा सुनाई गई है।

जैसा कि इस मामले में सुनवाई के दौरान जहां  गुरुवार को अंतिम बहस में अभियोजन पक्ष ने कोर्ट से आरोपी को मृत्युदंड देने की गुहार करते हुए कहा- 29 गवाहों के साक्ष्यों से यह साबित है कि घटना विरल से विरलतम है। अपर सत्र न्यायाधीश वर्षा शर्मा के समक्ष मात्र सात दिन चली ट्रायल में कोर्ट ने बचाव पक्ष को गुरुवार को साक्ष्य पेश करने को कहा था। हालांकि साक्ष्य पेश नहीं किए गए। इस पर कोर्ट ने मध्यावकाश बाद अंतिम तर्क की मंजूरी दी थी।

वहीं इस पर  राज्य शासन द्वारा नियुक्त विशेष लोक अभियोजक मोहम्मद अकरम शेख ने अंतिम तर्क में कहा कि आरोपी नवीन उर्फ अजय गड़के की पत्नी रेखा मृत बच्ची के पिता की मौसी है। आरोपी ने पत्नी को छोड़ रखा है। आरोपी बच्ची की मां के पास आकर कहता था कि वह पत्नी से समझौता करवा दे। बच्ची की मां ने इसके लिए मना कर दिया था।

जिस पर 19 अप्रैल 2018 की रात में आरोपी शराब लेकर बच्ची की नानी को पिलाने पहुंचा था। मना करने पर आरोपी बोतल फेंककर चला गया था। 20 अप्रैल की तड़के चार बजे वह माता-पिता के पास सोई बच्ची को उठाकर श्रीनाथ पैलेस बिल्डिंग के तलघर में ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया। बाद में उसे ऊपर से फेंक दिया, जिससे बच्ची की मौत हो गई थी।

इसी प्रकार से विशेष लोक अभियोजक शेख ने कहा कि डीएनए रिपोर्ट में प्रमाणित हुआ है कि आरोपी के जब्त कपड़े, जूते व साइकिल पर जो खून पाया गया, वह बच्ची का था। ट्रायल में डॉक्टरों ने बयान देकर प्रमाणित किया कि बच्ची पर लैंगिक हमला हुआ था। सीसीटीवी फुटेज में आरोपी बच्ची को लेकर जाते दिखाई दिया। बच्ची की मां और आरोपी की पत्नी ने भी फुटेज में उसे देखकर पहचाना कि यही आरोपी है। शेख ने कोर्ट में कहा कि 29 गवाहों के बयान से प्रमाणित हुआ है कि यह घटना विरल से विरलतम (रेअर टू रेअरेस्ट) है।

सबसे अहम बात यह रही कि  अभियोजन पक्ष ने अदालत से कहा कि जिस तरह शरीर के किसी अंग में सड़ाव लगने से हुए नासूर को शरीर बचाने के लिए काट देना आवश्यक होता है, उसी तरह आरोपी समाज के लिए नासूर है जिसे समाज से हटाना आवश्यक है। अभियोजन पक्ष ने कोर्ट से गुहार करते हुए कहा आरोपी को फांसी की सजा सुनाई जाए। शेख ने बच्चियों के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामलों में फांसी की सजा संबंधी सुप्रीम कोर्ट के न्याय दृष्टांत भी पेश किए जिनमें फांसी की सजा की पुष्टि की गई है।

जबकि वहीं आरोपी की ओर से पैरवी करते हुए एडवोकेट सचिन वर्मा ने अंतिम बहस में कहा कि अभियोजन पक्ष ने घटना स्थल के जो फुटेज कोर्ट में पेश किए हैं, उनमें एक में तारीख वर्ष 2009 की आ रही है। इस पर अभियोजन पक्ष ने स्पष्ट किया कि कैमरे जिस मैकेनिक ने फिक्स किए, उसने टाइमिंग फिक्स नहीं की। इसलिए मेकिंग डेट आ रही है। बचाव पक्ष के अधिवक्ता वर्मा ने बचाव में यह भी कहा कि गवाहों के बयानों में विरोधाभास आ रहा है। अत: अभियोजन पक्ष के साक्ष्यों पर विश्वास नहीं करते हुए आरोपी को दोषमुक्त किया जाए। अदालत ने दोनों पक्षों की अंतिम बहस सुनने के बाद फैसले के लिए 12 मई तय कर दी थी।

 

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