Saturday , April 20 2024
Breaking News

देश भर में जारी मोदी लहर, बनती कांग्रेस के लिए कहर

Share this

नई दिल्ली। कहा जाता है कि कभी-कभी जुबान पर सरस्वती बैठी होती है। संभवतः इसकी ही बानगी है जैसा कि मोदी द्वारा कहा गया था “कांग्रेस मुक्त भारत” वो धीरे-धीरे सच होने की ओर अग्रसर है।  साल 2014 में सत्ता पर काबिज होने के बाद से उत्तर से लेकर दक्षिण, पूर्व से लेकर पश्चिम तक मोदी का जलवा बना हुआ है। वहीं एक-एक कर लगभग हर राज्य से कांग्रेस को बेदखल कर प्रधानमंत्री ने साबित कर दिया कि अब भाजपा का राजनीतिक सफर दूर तक जाएगा। कर्नाटक में कांग्रेस यदि हारती है तो कांग्रेस फिर  सिर्फ तीन राज्यों पंजाब, मिजोरम और पुडुचेरी तक ही सिमट कर रह जाएगी।

मोदी के मैजिक का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि चुनाव जीतने के बाद तक किसी को यकीन नहीं हुआ कि पूर्वोत्तर पर भी अब भाजपा का रंग चढ़ चुका है। वहीं अब कर्नाटक विधानसभा चुनाव के रुझानों को देखते हुए यह कहने में हैरानी नहीं होगी कि देश की कमान संभालने के चार साल बाद भी मोदी मैजिक बरकरार है। पूर्वोत्तर के बाद अगर दक्षिण में भी कमल खिल जाए, तो ये कोई बड़ी बात नहीं होगी। जिस तरह से रुझानों में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभर रही है, उससे यही साबित होता है कि विपक्षी दलों के हमलों से देश में मोदी लहर कम होने की बजाय और बढ़ी है।

रही सही कसर अब भारतीय जनता पार्टी ने कर्नाटक में कांग्रेस के अंतिम किले को ध्वस्त कर दिया है। कर्नाटक में भाजपा की जीत दक्षिण भारतीय राजनीति दुर्ग में सेंधमारी की एक कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। कर्नाटक चुनाव के बाद दक्षिण भारत के पांच राज्यों में चुनाव होने हैं, जिसमें तेलंगाना और आंध्र प्रदेश का नंबर पहले आता है। यहां विधानसभा के चुनाव वर्ष 2019 के शुरुआती माह में होंगे। इसी वक्त देश में लोकसभा चुनाव का माहौल होगा। इसके बाद वर्ष 2021 में तीन राज्यों तमिलनाडु, केरल और पड्डुचेरी में चुनाव होंगे। दक्षिण भारतीय राज्यों में वाजिब तौर पर कर्नाटक चुनाव के नतीजों का असर होगा।

हालांकि कर्नाटक चुनाव के नतीजे भाजपा के लिए दक्षिण भारत की राजनीति में काफी हद तक उसका मनोबल बढा़ने वाले साबित होंगे। आमतौर पर भाजपा को हिंदी पट्टी की पार्टी माना जाता है। लेकिन कर्नाटक चुनाव नतीजों से इसमें बदलाव आएगा और भाजपा के पक्ष में भी माहौल बनेगा। कर्नाटक के चुनाव प्रचार में भी भाजपा नेताओं को भाषाई दिक्कतों की वजह से कैंपेन करने में दिक्कत हुई। लेकिन भाजपा ने इन सभी को दरकिनार करते हुए कर्नाटक के आम जन तक पार्टी की आवाज पहुंचाने में कामयाब रही, जो कि उनके बूथ लेवल मैनेजमेंट को दर्शाता है। वहीं कांग्रेस इस मामले में बुरी तरह असफल रही।

Share this
Translate »