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कांग्रेस की रणनीति बखूबी काम आई, भाजपा के दिग्गजों ने मुंह की खाई

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बेंगलुरू। भाजपा के रणनीतिकारों को आखिरकार पहली बार ऐसी हार का सामना करना पड़ा जब कर्नाटक विधान सभा में आज येदियुरप्पा द्वारा बहुमत सिद्ध करने की प्रक्रिया से दो-चार होने से पहले ही अपने पास बहुमत न जुट सकने के चलते इस्तीफा दे दिया है। जिसके बाद पिछले कई दिनों से चला आ रहा सियासी ड्रामा आखिरकार समाप्त हो गया है।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने आज सदन की कार्रवाई शुरू होते ही एक लंबा और भावुक भाषण दिया और इसके बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा कि जनता ने अगर भाजपा को 113 सीटें दी होती तो तस्वीर कुछ और होती। इसके अलावा मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने सभी विधायकों को व्हिप जारी करते हुए व्हिप पर हस्ताक्षर किए हैं। येदियुरप्पा और श्रीरामुलु ने विधायकी के लिए अपने सांसद पद से इस्तीफा भी दे दिया है।

इस पूरे प्रकरण में जहां बेहद अहम रहा कि तमाम कवायदों के बावजूद भी भाजपा के रणनीतिकार इस बार कामयाब न हो सके वहीं तारीफ करनी होगी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी टीम की जो लगातार इस पर बखूबी नजर रखते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा लगातार खटखटाती रही जिसका नतीजा ये रहा कि येदियुरप्पा को मिलने वाला समय घटकर मात्र शनिवार तक ही रह गया।

संभवतः इसके ही चलते नतीजा ऐसा सामने आ सका। एक तरह से लगातार अच्छे प्रदर्शन के बावजूद तमाम राज्यों में भाजपा की गणित के चलते सत्ता से दूर होती जा रही कांग्रेस के लिए ये जीत संजीवनी का काम करेगी और उसके कार्यकर्ताओं में एक नया उत्साह भरेगी। वहीं लगातार अपनी रणनीति की कामयाबी के चलते बेलगाम होती जा रही भाजपा पर लगाम भी लग सकेगी।

इसके अलावा सबसे अहम बात ये है कि पूर्व में भाजपा द्वारा चले गए दांव को इस बार बखूबी उसी पर आजमाते हुए कांग्रेस ने जेडीएस से हाथ मिलाकर सरकार बनाने का दावा पेश किया जो उतना ही कारगर रहा जितना कि भाजपा के लिए रहता था। इसके अलावा तारीफ करनी होगी कि कांग्रेस और जेडीएस के तमाम उन विधायकों का जिन्होने ऐसे बदलते घटनाक्रम में भी अपने दल का बखूबी साथ निभाया।

ज्ञात हो कि कर्नाटक में हालांकि वैसे तो चुनाव के पूर्व से ही जेडीएस को किंग मेकर के रूप में देखा जा रहा था लेकिन चुनाव के बाद आते जो परिणामों के संकेत थे उससे भाजपा काफी उत्साहित नजर आ रही थी लेकिन गठबंधन की सियासत की बेहद अनुभवी बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने कुछ ऐसा मंत्र जेडीएस और कांग्रेस के नेताओं के कानों में फूंका कि भाजपा का उत्साह न सिर्फ काफूर हो गया बल्कि उसका सरकार बनाने का ख़्वाब भी उससे दूर हो गया। वहीं किंग मेकर कही जा रही जेडीएस खुद किंग की भूमिका में आ गई। अचानक ही भाजपा की सारी गणित भी गड़बड़ा गई।

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