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(आईबीसी) संशोधन अध्यादेश- 2018 लोगों के लिए वरदान साबित होगा: अरुण जेटली

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नई दिल्ली। केन्द्रीय मंत्री अरुण जेटली ने एक लेख में कहा है कि इंडियन बैंकरप्सी कोड (आईबीसी) संशोधन अध्यादेश-2018 से न सिर्फ रातों रात आने वाले रियल एस्टेट डेवलपर अब समाप्त हो जाएंगे बल्कि आवासीय परियोजनाएं समय पर पूरी होगी और निवेशकों को निर्धारित समय पर आवंटन मिल सकेगा। जिससे घर खरीदने वालों को आसानी होगी साथ ही रियल एस्टेट उद्योग को औपचारिक बनाने में भी काफी मदद मिलेगी। जिसके चलते अब सिर्फ सुव्यवस्थित और मजबूत रियल एस्टेट डेवलपर ही बाजार में टिक सकेंगे।

साथ ही उन्होंने लिखा है कि निर्माण क्षेत्र का दो अंकों की दर से विकास हो रहा है। रेरा और नया अध्यादेश इसमें और तेजी लाएंगे। उन्होंने कहा कि वर्ष 1991 के उदारीकरण के बाद नए टाउनशिप के विकास, शहरीकरण और उप शहरीकरण में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। अब इसमें और तेजी आने की उम्मीद है। आर्थिक विकास भी उम्मीद के अनुरूप हो सकेगी। क्रय शक्ति बढ़ने के साथ ही शहरों के ओर पलायन और जीवनशैली की गुणवत्ता में सुधार बढ़ने से रियल एस्टेट उद्योग को गति मिलेगी।

जेटली ने लिखा है कि अब बड़े टाउनशिप के आसपास बड़े पैमाने पर रियल एस्टेट परियोजनाएं आ रहीं हैं। उनमें से अधिकांश पेशेवर रियल एस्टेट डेवलपर हैं। इस क्षेत्र में भी रातों-रात डेवलपर आ गए हैं। कुछ के पास तो बहुत सीमित संसाधन हैं। वे घर खरीदने वालों की पूंजी का उपयोग करते हैं और भूमि में निवेश करते हैं। बैंक से पूंजी लेते हैं और ऋण में फंस जाते हैं। इससे घर खरीदने वाला सबसे अधिक प्रभावित होता है। उन पर तिहरी मार पड़ती है। अपनी बचत राशि निवेश करते हैं। ऋण के लिए किस्तों का भुगतान करते हैं और इसकेे बावजूद किराया भी देते हैं।

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