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हद है: किताबों में हॉकी को राष्ट्रीय खेल पढ़ाया, RTI की जानकारी में कुछ और ही सामने आया

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डेस्क।  हमारा देश बड़ा ही अलबेला है यहां पर तो जैसे विडम्बनाओं का मेला है अब कोई बड़ी बात नही कि कल को मोर राष्ट्रीय पक्षी न रह जाये बाघ राष्ट्रीय पशु न रह जाये बहुत कुछ है कहां तक और क्या-क्या कहा जाये। जी! सूचना के अधिकार के तहत मिले जवाब ने बखूबी हम सबको चौंकाया है कि हमारे देश में किसी भी खेल को राष्ट्रीय खेल का दर्जा ही नही प्राप्त है यानि बरसों से हम बेवजह ही हॉकी को राष्ट्रीय खेल मानते और जानते रहे हैं।

बेहद ही गौरतलब है कि जैसा कि वर्षों से हम आप यह ही पढ़ते आये हैं कि हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल है। मगर ऐसा है नहीं। एक आरटीआई के जवाब में खेल मंत्रालय ने साफ कह दिया है कि खेल मंत्रालय ने किसी भी खेल को राष्ट्रीय खेल का दर्जा नहीं दिया है।

दरअसल बरेली में चाहवाई निवासी केशव खण्डेलवाल बेदी इन्टरनेशनल में इंटर के छात्र हैं। केशव पिछले दिनों एक टेस्ट देने गए। टेस्ट में राष्ट्रीय खेल के सम्बंध में सवाल पूछा गया। केशव ने इसका जवाब हॉकी लिखा। टेस्ट के बाद उनकी कुछ दोस्तों से इस मुद्दे पर बहस हो गई।

जिस पर उसने बखूबी अपना संशय दूर करने के लिए केशव ने पिछले वर्ष 28 दिसम्बर को आरटीआई के तहत राष्ट्रीय खेल का सवाल पूछा। जवाब में खेल मंत्रालय के डिप्टी सेक्रेटरी एसपीएस तोमर ने लिखा है कि खेल मंत्रालय ने किसी भी खेल को राष्ट्रीय खेल का दर्जा नहीं दिया है।

हालांकि इस बाबत केशव ने बेहद अहम और काबिले गौर मांग रखी है कि अगर ऐसा ही है तो फिर सरकार को हॉकी को राष्ट्रीय खेल का दर्जा देना चाहिए। यदि ऐसा नहीं है तो किताबों, वेबसाइट आदि से यह सूचना हटा देनी चाहिए।

ज्ञात हो कि हाल ही में इसी मामले को एक चिट्ठी के जरिये PM मोदी के समक्ष उठाते हुए उड़ीसा के CM नवीन पटनायक ने भी इसी मांग को दोहराया था कि कृपया हॉकी को राष्टीय खेल का दर्जा अधिकारिक तौर पर प्रदान किया जाये। साथ ही उन्होंने इस खेल के उत्थान के लिए भी जरूरी कदम उठाये जाने के लिए भी PM मोदी से आग्रह किया था। क्योंकि नवंबर माह में उड़ीसा में ही हॉकी की एक बड़ी प्रतियोगिता का आयोजन होना है।

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