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आज देश पर राज करने वाले है ऐसे कसाई, जो जानवरों को बचाने के लिए मार रहे हैं अपने ही भाई: शिव सेना

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डेस्क। वैसे तो कल ऐसा माना जा रहा था कि भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह की शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से बात के बाद सब कुछ काफी हद तक सामान्य हो गया है लेकिन आज शिव सेना ने जिस तरह से एक बार फिर केन्द्र की मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि देश पर शासन कर रहे लोग ऐसे कसाई हैं, जो जानवरों को बचा रहे हैं और इंसानों को मार रहे हैं। अपने आप में काफी मायने रखने वाला और मोदी सरकार के सामने आइने रखने वाला है।

गौरतलब है कि शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘ सामना ’ के संपादकीय में लिखा है , दुनिया में हम पांचवें नंबर की अर्थव्यवस्था बन गए हैं, लेकिन इसने हमारे किसानों को मौत की दहलीज से नहीं बचाया। उसने कश्मीर के सैकड़ों जवानों की शहादत को नहीं रोका। संपादकीय में सवाल किया गया है कि जिस पांचवें क्रमांक की अर्थव्यवस्था में गरीबों तथा बेरोजगारों को स्थान नहीं है वह अर्थव्यवस्था किस काम की है ?

इतना ही नही बल्कि सामना में शिवसेना ने आरोप लगाया है , ‘‘ यहां बकरियों को बचाकर इंसान को मारनेवाले ‘ कसाई ’ राज करते हैं। पूरा संवेदना शून्य कामकाज जारी है। सिर्फ चुनाव जीतने के लिए तथा सत्ता बचाने के लिए नट का खेल करते रहना लोकतंत्र नहीं। बहुमत की झुंडशाही सर्वकाल नहीं टिकती। जनता सर्वोच्च है। ’’ लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर आज होने वाले मतविभाजन से अनुपस्थित रहने का फैसला करने वाले गठबंधन सहयोगी शिवसेना ने हालांकि यह भी कहा कि विपक्ष जानता है कि सरकार गिराने लायक आंकड़ा उसके पास भी नहीं है।

इसके साथ ही पार्टी का कहना है , ‘‘ भाजपा के पास आंकड़ों का बहुमत है इसलिए मतदान के बाद सरकार गिर जाएगी , ऐसा विचार कोई नहीं कर रहा। सोनिया गांधी ने कहा है कि ‘ आंकड़ा हमारे पास भी है। ’ लेकिन सरकार गिराने जितना आंकड़ा उनके पास नहीं है , यह विरोधियों को भी पता है। ’’  उसमें लिखा है , विरोधियों का अविश्वास प्रस्ताव सरकार गिराने के लिए नहीं बल्कि मोदी सरकार को अभियुक्त के पिंजरे में खड़ा करने के लिए है।

साथ ही सामना ने ये भी लिखा है कि , ‘‘ बहुमत का अर्थ जनभावनाओं की कद्र ना होकर बहुमत वालों की तानाशाही हो गया है। लोगों को सपने दिखाना। श्रद्धा और भावनाओं से खिलवाड़ कर वोट मांगना और लोगों द्वारा झोली भरकर मतदान करने के बाद इन सभी चुनावी जुमलों को कभी भी स्वच्छ न होनेवाली गंगा में डुबो देना है। ’’

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