माघ मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को जया एकादशी, अजा और भीष्म एकादशी नाम से जाना जाता है। 27 फरवरी को 2018 की दूसरी एकादशी है। पंचांग भेद के कारण कुछ विद्वान 28 जनवरी को एकादशी मान रहे हैं। भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त करने का यह सबसे सरलतम एवं उत्तम साधन है। पुराणों में 8 वर्ष से लेकर 80 वर्ष तक प्रत्येक जीव के लिए यह व्रत रखना अनिवार्य कहा गया है। यदि कोई जातक बीमार है व्रत रखने में सक्षम नहीं है तो भी उसे अन्न रहित भोजन का सेवन एकादशी के दिन करना चाहिए। शनिवार के दिन एकादशी आने से इस तिथि का महत्व बढ़ जाता है। इस रोज किए गए उपाय शनि कृपा के साथ श्री हरि और देवी लक्ष्मी का आशीष भी दिलवाएंगे।
ग्रहों की चाल को मात देने के लिए बस आपको कल ये काम करने होंगे जिसके लाभ आपको मिलना तय हैं। शनिवार को श्री हरि विष्णु देवी लक्ष्मी के संग पीपल पर वास करते हैं। अत: दोनों का आशीष प्राप्त करने के लिए सूर्योदय के बाद पीपल पूजन करें, जिससे महालक्ष्मी प्रसन्न होकर सदा आपके पास रहें। तांबे के लोटे में जल भरकर भगवान विष्णु जी के अष्टभुज रूप का स्मरण करते हुए पीपल की जड़ में जल चढ़ाना चाहिए। पीपल के पेड़ के नीचे वैसे तो प्रतिदिन सरसों के तेल का दीपक जलाना उत्तम कर्म है परंतु यदि किसी कारणवश ऐसा संभव न हो तो शनिवार की रात को पीपल की जड़ के पास दीपक जरूर जलाएं क्योंकि इससे घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है, कारोबार में सफलता मिलती है, रुके हुए काम बनने लगते हैं और शनि की पीड़ा की शांति का यह सर्वोत्तम उपाय है। वृक्ष की पांच परिक्रमाएं करें। जो लोग पीपल के वृक्ष का रोपण करते हैं उनके पितृ नरक से छूटकर मोक्ष को प्राप्त करते हैं।
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