नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने कोराना महामारी के दौरान कंपनियों को राहत देने के लिए श्रम कानून में बदलाव किया था. इसकी आड़ में कुछ कंपनियों ने अपनी मनमानी करना शुरू कर दी और नये श्रम कानून का बहाना बनाकर परमानेंट नौकरी पर रखे कर्मचारियों को कांट्रैक्ट वर्कर के रूप में बदलना शुरू कर दिया.
ऐसे में सरकार ने इन कंपनियों को चेतावनी देते हुए कहा कि नये कानूनों की आड़ में कोई भी कंपनी परमानेंट नौकरी पर रखे हुए कर्मचारियों को कांट्रैक्टर वर्कर के तौर पर बदल नहीं सकती. इसके साथ ही सरकार ने कहा कि छंटनी के शिकार कर्मचारियों की मदद के लिए कंपनियां विशेष फंड के तौर पर सीएसआर फंड का इस्तेमाल कर सकती हैं. वहीं, नये श्रम कानूनों को लेकर जल्द ही श्रम मंत्रालय में बैठक होने वाली है.
सर्विस रूल्स में जल्द होंगे बड़े बदलाव
सीएनबीसी आवाज़
के अनुसार, केंद्र सरकार सर्विस रूल्स में जल्द ही बड़े बदलाव करने वाली
है. वहीं स्थायी नौकरी को कांट्रैक्ट में नहीं बदला जा सकेगा. इसके साथ ही
श्रम मंत्रालय ने ड्राफ्ट रूल के जरिए स्पष्ट किया है कि छंटनी हुए
कर्मचारियों की मदद के लिए विशेष फंड का नियम बनाया जाएगा और इनके लिए
री-स्किलिंग होगी. श्रम मंत्रालय को इस बारे में कंपनियों ने भी अपने सुझाव
दिए है. इसके अलावा यूनियन और नेटवर्थ नियम पर भी सफाई की मांग की गई है.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार श्रम मंत्रालय 24 दिसंबर को इन सभी
मामलों पर बैठक कर सकता है. इस बैठक में लेबर कोड रूल को अंतिम रूप दिया जा
सकता है. वहीं, इस बैठक में इंडस्ट्री, एंंप्लॉय एसोसिएशन और ट्रेड यूनियन
भी शामिल होंगी. बता दें कि केंद्र सरकार अप्रैल 2021 से नया लेबर कानून
लागू करने की योजना बना रही है.
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