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कहीं पंजाब जैसी हालत न हो जाए, अब राजस्थान-छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को सता रहा डर

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पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के चुनावी वादों को पूरा नहीं करने को लेकर कांग्रेस नेतृत्व के सख्त तेवरों ने राजस्थान और छत्तीसगढ़ सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है। पार्टी इन प्रदेशों चुनावी घोषणा पत्र पर अमल कराने के लिए बनी समितियों की बैठक बुलाने की तैयारी कर रही है, ताकि पंजाब जैसी स्थिति ना पैदा हो पाए। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पंजाब की तरह राजस्थान और छत्तीसगढ़ से भी चुनावी वादों पर अमल नहीं होने की शिकायत मिल रही है। पंजाब में चुनाव होने वाले हैं, इसलिए पार्टी नेतृत्व ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को फौरन चुनावी वादे पूरे करने की हिदायत देने में देर नहीं की। राजस्थान और छत्तीसगढ़ सरकार आधा कार्यकाल पूरा कर चुकी है। पर अभी भी कई बड़े वादे अधूरे हैं।

पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पिछले साल 20 जनवरी को चुनाव घोषणा पत्र के वादों पर अमल की निगरानी के लिए समितियों का गठन किया था। पर कोरोना संक्रमण समितियां अपने काम को अंजाम नहीं दे पाईं। राजस्थान के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कई वादे पूरे करना अभी बाकी है। कई विधायक भी चुनावी वादों को पूरा करने की मांग उठाते रहे हैं। पंजाब की घटना के बाद मुख्यमंत्री गहलोत पर चुनावी वादों को जल्द पूरा करने का दबाव बढ़ सकता है।

छत्तीसगढ़ में 36 में से 14 वादे ही पूरे हो पाए

छत्तीसगढ़ में भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार आधा कार्यकाल पूरा कर चुकी है, पर मुख्य 36 वादों में 14 वादे ही पूरे हो पाए हैं। इनमें तीन वादे बघेल सरकार ने शपथ लेने के दो घंटे के भीतर पूरे कर दिए थे। इनमें 2500 रुपये प्रति कुवंटल धान की खरीद, किसानों के अल्पकालीन ऋण माफी और झीरमघाटी की जांच के लिए एसआईटी का गठन शामिल है। पर कई बड़े वादे अभी पूरे होने बाकी हैं।

अधूरे वादों में बेरोजगारों को मासिक भत्ता और पेंशन योजनाओं की राशि में वृद्धि शामिल है। छत्तीसगढ़ सरकार का कहना है कि बेरोजगारी भत्ते के लिए उच्च शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता में समिति का गठन कर रखा है। कांग्रेस की राजस्थान की चुनावी वादों पर अमल की निगरानी समिति के अध्यक्ष तामृध्वज साहू और छत्तीसगढ़ की समिति की जिम्मेदारी वरिष्ठ नेता जयराम रमेश के पास है।

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