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कोरोना के बीच अमेरिका में आई नई मुसीबत, लाइलाज Candida Auris के मामलों ने डराया

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वाशिंगटन. कोरोना महामारी के साथ इन दिनों कई और वेरिएंट और फंगस दुनिया भर के लोगों को खौफजदा किए हुए हैं. वहीं अब अमेरिकी हेल्थ ऑफिसर्स ने डलास-क्षेत्र के दो अस्पतालों और वाशिंगटन डीसी के एक नर्सिंग होम में अनट्रिटेबल फंगस के मामलों की सूचना दी. कैंडिडा ऑरिस, यीस्ट का एक खतरनाक रूप है और ये गभीर मेडिकल प्रॉब्लम वाले नर्सिंग होम और अस्पताल के मरीजों के लिए बड़ा खतरा है. दरअसल ये फंगस रक्तप्रवाह में संक्रमण का कारण बन सकता है यहां तक कि इससे मौत भी हो सकती है.

सीडीसी के मेघन रयान ने बताया कि, वे पहली बार “प्रतिरोध का समूह” देख रहे हैं, जिसमें मरीज एक दूसरे से संक्रमित हो रहे हैं. वाशिंगटन DC नर्सिंग होम में पाए गए 101 कैंडिडा ऑरिस मामलों के समूह में तीन मामले ऐसे थे जिन पर सभी तीन प्रकार की एंटिफंगल दवाओं का असर नहीं हुआ. डलास-क्षेत्र के दो अस्पतालों में 22 कैंडिडा ऑरिस मामलों का कल्सटर रिपोर्ट किया गया है. इनमें दो मामले मल्टीड्रग प्रतिरोधी मिले हैं. जिसके बाद सीडीसी ने निष्कर्ष निकाला है कि संक्रमण रोगी से रोगी में फैल रहा है. ये 2019 के विपरीत है जब वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला था कि उपचार के दौरान न्यूयॉर्क में तीन रोगियों में दवाओं का प्रतिरोध बना था.

यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के मुताबिक खतरनाक कैंडिडा ऑरिस संक्रमण वाले तीन में से एक मरीज की मौत हो जाती है. अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी ने उभरते हुए फंगल को एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य खतरा करार दिया है. CDC भी इस फंगल को लेकर चिंतित है क्योंकी इस पर मल्टीड्रग्स का कोई असर नहीं हो रहा है. जिसका मतलब है कि यह इंफेक्शन के ट्रीटमेंट के लिए यूज की जाने वाली कई एंटिफंगल दवाओं का प्रतिरोधी है और इस वजह से ही इसे लाइलाज कहा जा रहा है. वहीं स्टैंडर्ड लैबोरेटरी तरीकों का इस्तेमाल करके इंफेक्शन की पहचान करने में मुश्किल आ रही है क्योंकि गलत पहचान से गलत इलाज का खतरा भी है.

गंभीर कैंडिडा संक्रमण वाले ज्यादातर लोगों में पहले से ही कोई न कोई बीमारी पाई गई थी. इसलिए यह जानना काफी मुश्किल हो जाता है कि क्या किसी को कैंडिडा ऑरिस संक्रमण है या नहीं. CDC के मुताबिक, बुखार और ठंड लगना कैंडिडा ऑरिस संक्रमण के सबसे आम लक्षण हैं और संक्रमण के लिए एंटीबायोटिक इलाज के बावजूद लक्षणों में सुधार नहीं होता है. फिलहाल वैज्ञानिक अब ये पता लगाने की कोशिश में जुटे हुए है कि कैंडिडा ऑरिस संक्रमण एंटीफंगल दवाओं के लिए प्रतिरोधी क्यों है. इसके साथ ही ये भी पता लगाया जा रहा है कि हाल के वर्षों में ये संक्रमण इतना अक्रामक क्यों हो गया है.

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