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खबर जिसने किया दुनिया को परेशानः दो दशकों बाद तालिबान के हाथों में आई फिर अफगानिस्तान की कमान

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नई दिल्ली। तकरीबन दो दशक बाद एक बार फिर अफगानिस्तान पर काबिज होने में कामयाब हो ही गया तालिबान। हद की बात ये है कि महज 100 दिन के अंतराल में ही तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया। बीते कुछ महीने अफगानिस्तान के लिए काले पन्नों की तरह रहे हैं। इस दौरान हुई भीषण हिंसा की घटनाओं में कितने ही नागरिकों, नेताओं, पत्रकारों और कार्यकर्ताओं की हत्या हुई। अमेरिकी सुरक्षा बलों की यहां से वापसी के साथ ही शुरू हुए इस हिंसा के दौर को रोकने में अफगान सरकार विफल रही। बताया जाता है कि अफगान फतह के पीछे तालिबान के चार नेताओं मुल्ला याकूब, सिराजुद्दीन हक्कानी, हेबतुल्लाह अखुंदजादा और मुल्ला बरादर की अहम भूमिका है। फिलहाल इन्हीं चारों के हाथ में तालिबान की कमान है।

गौरतलब है कि तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा जमा लिया है। वह राजधानी काबुल के मुहाने पर है या यूं कहें कि उसने लगभग काबुल पर भी अपना शिकंजा कस लिया है। अब वह अफगान सत्ता हड़पने के लिए शांतिपूर्ण हस्तांतरण का दिखावा कर रहा है। तालिबान ने इससे पहले 1996 से 2001 तक अफगानिस्तान की सत्ता पर राज किया है। तब उनके नेता मीडिया से दूरी बनाकर रखते थे।  तालिबान ने देश की सभी सीमाओं पर कब्जा करने के साथ ही राजधानी काबुल में प्रवेश कर लिया है। सूत्रों के अनुसार सत्ता परिवर्तन की प्रक्रिया की शुरुआत भी हो गई है। सूत्रों के मुताबिक, नई अंतरिम सरकार के अंतरिम प्रमुख के रूप में अली अहमद जलाली का नाम सबसे आगे चल रहा है। तालिबान को सत्ता हस्तांतरित करने के लिए अफगान राष्ट्रपति भवन एआरजी में में बातचीत चल रही है।

टोलो न्यूज के मुताबिक, यहां सत्ता हस्तांतरण की प्रकिया भी पूरी हो गई है। राष्ट्रपति अशरफ गनी ने तालिबान को सत्ता सौंप दी है। सूत्रों के मुताबिक, नई अंतरिम सरकार के अंतरिम प्रमुख के रूप में अली अहमद जलाली का नाम सबसे आगे चल रहा है। खबर यह भी आ रही है कि राष्ट्रपति गनी ने देश छोड़ दिया है। माना जा रहा है कि गनी ताजिकिस्तान जा रहे हैं। वहीं, कुछ तालिबानी सूत्रों के मुताबिक, काबुल की पुलिस आत्मसमर्पण करने लगी है। वह अपने हथियार तालिबान को सौंप रही है। इससे पहले आंतरिक और विदेश मामलों के कार्यवाहक मंत्रियों अब्दुल सत्तार मिर्जाकवाल ने अलग-अलग वीडियो क्लिप में आश्वासन दिया कि काबुल के लोगों को सुरक्षित किया जाएगा, क्योंकि वे अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों के साथ शहर की रक्षा कर रहे हैं। टोलो न्यूज के मुताबिक, मिर्जकवाल ने कहा कि काबुल पर हमला नहीं होगा, सत्ता परिवर्तन शांतिपूर्वक ढंग से होगा। काबुल की सुरक्षा की जिम्मेदारी सिक्योरिटी फोर्स की है। 

ताजा जानकारी के अनुसार, तालिबान के आतंकी अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में प्रवेश कर गए हैं और देश की सभी सीमाओं पर कब्जा भी कर लिया है। इस बात की पुष्टि तीन अफगान अधिकारियों ने की है। तालिबान के आतंकी काबुल के कलाकान, काराबाग और पगमान जिलों में प्रवेश कर लोगों में दहशत बनाना शुरू कर दिया है। इस बीच तालिबान ने काबुल की बगराम जेल के बाद पुल-ए-चरखी जेल को भी तोड़ दिया है। उसने वहां से हजारों कैदियों को भी आजाद कर दिया है। पुल-ए-चरखी अफगानिस्तान की सबसे बड़ी जेल है। यहां ज्यादातर तालिबान के लड़ाके बंद थे।काबुल में तालिबान के प्रवेश के साथ ही यहां पर अफरा-तफरी का माहौल बन गया था। लोगों में राजधानी और देश छोड़कर जाने की ऐसी जल्दी थी कि कई स्थानों पर भीषण जाम की स्थिति बन गई। हालांकि, अफगानिस्तान के बाकी हिस्सों में तालिबान की हिंसा की जैसी खबरें मीडिया और सोशल मीडिया के सामने आती रही हैं, उन्हें देखते हुए लोगों में इस तरह का भय उत्पन्न होना बहुत असामान्य नहीं है।

इस दौरान यहां बनी स्थिति के वीडियो लोगों ने सोशल मीडिया पर साझा किए। सोशल मीडिया पर साझा हुए एक वीडियो में इधर-उधर भागते लोग नजर आ रहे हैं। वीडियो में काबुल की सड़कों पर लगा लंबा जाम देखा जा सकता है। ईरान की पत्रकार और कार्यकर्ता मसीह अलिनेजाद ने ट्विटर पर एक वीडियो पोस्ट किया है, जिसमें एक महिला भागती नजर आ रही हैं। ट्वीट में उन्होंने पहले महिला के हवाले से लिखा है, ‘तालिबान शहर में दाखिल हो चुका है और हम सब भाग रहे हैं। सब डरे हुए हैं।’ वह आगे लिखती हैं, ‘यह किसी डरावनी फिल्म का दृश्य नहीं है, यह काबुल की असलियत है। पिछले सप्ताह इस शहर ने एक फिल्म महोत्सव का आयोजन किया था और आज सब अपनी जान बचाने के लिए भाग रहे हैं। यह देखकर दुख हो रहा है लेकिन दुनिया कुछ नहीं कर रही है।’

अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में घुसने की खबरों के बीच तालिबान ने एक बयान जारी किया है। इसमें कहा गया है कि उनका इरादा किसी को नुकसान पहुंचाने का नहीं है। तालिबान ने अपने लड़ाकों को काबुल में नहीं घुसने को और सीमाओं पर ही इंतजार करने को कहा है। तालिबान ने कहा है कि वे आम लोगों या सेना के खिलाफ कोई बदले की कार्रवाई नहीं करेंगे। हालांकि चरमपंथी संगठन ने लोगों को घर में ही रहने के लिए धमकाया है। अफगानिस्तान के कार्यवाहक आंतरिक मंत्री अब्दुल सत्तार मिर्जाकवाल ने कहा कि तालिबान राजधानी काबुल पर हमला नहीं कर सकेंगे और शांति बनी रहेगी। उन्होंने काबुल निवासियों को आश्वासन दिया कि सुरक्षा बल शहर की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे। 

अमेरिकी दूतावास के निकट राजनयिकों के बख्तरबंद एसयूवी वाहन निकलते दिखे और इनके साथ ही विमानों की लगातार आवाजाही भी देखी गई। हालांकि अमेरिका सरकार ने अभी इस बारे में तत्काल कोई जानकारी नहीं दी है। दूतावास की छत के निकट धुआं उठता देखा गया जिसकी वजह अमेरिका के दो सैन्य अधिकारियों के मुताबिक राजनयिकों द्वारा संवेदनशील दस्तावेजों को जलाना है। अमेरिकी दूतावास के निकट सिकोरस्की यूएस-60 ब्लैक हॉक हेलीकॉप्टर भी उतरे। इन हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल आमतौर पर सशस्त्र सैनिकों को लाने-ले जाने के लिए किया जाता है। चेक गणराज्य ने भी अपने दूतावास से अफगान कर्मियों को निकालने की योजना को मंजूरी दे दी है। इससे पहले उसने अपने राजनयिकों को काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा पहुंचा दिया!

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