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आरएसएस ने मप्र में की 16 सांसदों के टिकट काटने की सिफारिश

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भोपाल! लोकसभा चुनाव को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सक्रिय हो गया है और इस बार वो भाजपा को किसी भी प्रकार की गलती देने की अनुमति देने के मूड में नहीं है. आरएसएस ने भाजपा को बताया है कि मध्यप्रदेश में कुल 26 सांसदों में से मात्र 10 ही ऐसे हैं जिन्हे फिर से टिकट दिया तो जीत सकते हैं, शेष 16 अपनी सीट जीतने की स्थिति में नहीं हैं, अत: प्रत्याशी बदल दिए जाने चाहिए.

प्रदेश में भाजपा की सरकार जा चुकी है और मौजूदा सांसदों के प्रति जगह-जगह गुस्सा सामने आया है. भाजपा को मप्र से फिर ज्यादा से ज्यादा सीटें जिताने के लिए संघ ने अपनी कोशिशें शुरू कर दी हैं. सूत्रों का कहना है कि संघ ने हाल ही में एक सर्वे रिपोर्ट भाजपा को सौंपी है. इसमें मप्र के 26 में से करीब 16 सांसदों के टिकट काटने की सिफारिश की गई है. संघ ने कहा है कि इन सांसदों के खिलाफ जनता के बीच गुस्सा बहुत ज्यादा है, यदि इन्हें फिर से टिकट दिया गया तो हालात मुश्किल हो सकते हैं.

संघ ने कहा है कि एक दर्जन सांसद पिछले पांच साल में अपने क्षेत्र में बहुत कम सक्रिय रहे हैं. क्षेत्र में लोगों से उनका जुड़ाव नहीं है. संघ ने अपनी रिपोर्ट से भाजपा को अवगत करा दिया है. हालांकि यह पहला मौका नहीं है, जब संघ जनप्रतिनिधियों के टिकट काटने की सिफारिश कर रहा है.

इससे पहले 2018 के विधानसभा चुनावों में भी संघ ने आधे से ज्यादा विधायकों के टिकट काटने की सलाह दी थी, हालांकि भाजपा ने इसे नहीं माना और उसे हार का सामना करना पड़ा. लोकसभा सीटों पर प्रत्याशी भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति तय करेगी. राज्य चुनाव समिति प्रत्याशियों का पैनल केंद्र के पास भेजेगी. इसके लिए प्रदेश में रायशुमारी भी हो सकती है.

मप्र में भाजपा के कई सांसदों के खिलाफ समय-समय पर लापता होने के पोस्टर लग चुके हैं. इसमें विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से लेकर खजुराहो से सांसद नागेंद्र सिंह, खरगोन सांसद सुभाष पटेल, मुरैना सांसद अनूप मिश्रा सहित अन्य शामिल हैं. नागेंद्र सिंह विधानसभा चुनाव लड़े थे और नागौद से विधायक चुने गए हैं. इसलिए अब उनके चुनाव लड़ने की उम्मीदें न के बराबर हैं.

प्रहलाद पटेल सहित कुछ केंद्रीय मंत्री भी अपनी लोकसभा सीट बदलना चाहते हैं. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के बीमार होने से संभावना जताई जा रही है कि वे चुनाव नहीं लड़ेंगी. भाजपा ने इस लोकसभा चुनाव में 29 में से 29 लोकसभा सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है. हालांकि विधानसभा चुनाव के परिणाम में भाजपा 17 और कांग्रेस 12 सीटों पर आगे रही है.

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