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मोदी सरकार के खिलाफ पेश नहीं हो सका अविश्वास प्रस्ताव

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नई दिल्ली!  तेलुगू देशम पार्टी (तेदपा) और वाईएसआर कांग्रेस ने शुक्रवार को लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करना चाहा लेकिन भारी हंगामे के कारण इसे लाया नहीं जा सका. शोर-शराबे के बीच लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी. तेदपा के थोडा नरसिंहम और वाईएसआर कांग्रेस के वाई.वी. सुब्बा रेड्डी ने लोकसभा अध्यक्ष को अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था.

सदन में अन्नाद्रमुक और तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के सदस्य अध्यक्ष के आसन के पास आ गए थे जबकि कांग्रेस, वामदल और कुछ अन्य दलों के सदस्य अपनी-अपनी सीट पर खड़े हो गए.

अध्यक्ष ने कहा कि यह उनकी जिम्मेदारी है कि वह अविश्वास प्रस्ताव को रखें लेकिन वह शोरगुल के बीच ऐसा नहीं कर सकती हैं. उन्होंने सदस्यों से अपनी-अपनी सीट पर वापस लौटने का आग्रह किया. लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा, “मेरी जिम्मेदारी है कि मैं सदन को इससे अवगत कराऊं. अगर सदन में शांति नहीं होगी तो मैं प्रस्ताव का समर्थन करने वालों को गिन नहीं पाउंगी.”लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पेश किए जाने के बाद इसे स्वीकार करने के लिए कम से कम 50 सदस्यों की आवश्यकता होती है जिसके बाद इस पर वोटिंग कराई जाती है. अध्यक्ष ने कहा कि सदन में सुव्यवस्था नहीं है, इसलिए वह अविश्वास प्रस्ताव नहीं ला सकतीं. उन्होंने दिनभर के लिए सदन को स्थगित कर दिया.सत्रावकाश के बाद बजट सत्र का यह दूसरा सप्ताह है जब बैंकिंग धोखाधड़ी और आंध्र प्रदेश को विशेष आर्थिक दर्जा दिलाने की मांग जैसे मुद्दों को लेकर सदन में गतिरोध बना हुआ है.

लोकसभा में लगातार 10वें दिन कामकाज नहीं हो पाया. हालांकि सरकार सदन में बजट के अलावा कुछ और विधेयकों को पारित करवाने में कामयाब रही है. तेदपा ने शुक्रवार को भाजपा की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से अलग होने की घोषणा की और कहा कि वह पार्टी मोदी सरकार के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाएगी.वाई. वी. सुब्बा रेड्डी और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने गुरुवार को सकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की घोषणा की थी.

इस प्रस्ताव के लिए कम से कम 50 सांसद इसका समर्थन करने चाहिए, तभी लोकसभा सचिवालय इसे स्वीकार करेंगे. अगर ऐसा हुआ तो यह मोदी सरकार के खिलाफ पहला अविश्वास होगा. संसद की कार्यप्रणाली के तहत, लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन वाईएसआर कांग्रेस के फ्लोर लीडर से प्रस्ताव लाने के लिए कहेंगी, जिसे कम से कम 50 सांसदों को खड़े होकर सपॉर्ट करना होगा. हालांकि अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया के लिए यह जरूरी होगा कि सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चले और कोई भी दल कार्यवाही में दखल न दे.

अविश्वास प्रस्ताव आने पर मोदी सरकार पर कोई खतरा नहीं दिख रहा है, लेकिन राजनीति में कुछ भी संभव है. लोकसभा में फिलहाल बीजेपी के पास अकेले 273 सांसद हैं. लोकसभा में फुल बेंच की स्थिति में भी बहुमत के लिए 272 सांसदों का आंकड़ा होना चाहिए. ऐसी स्थिति में बीजेपी अकेले दम पर ही बहुमत साबित कर जाएगी. आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर केंद्र से पहले अपने दो मंत्रियों को हटाने वाली टीडीपी के पास लोकसभा में 16 सांसद हैं. वहीं वाईएसआर के 9 सांसद हैं.

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