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कर्नाटक: सरकार बनाने की जोर आजमाईश, मौकापरस्तों के बूते टिकी भाजपा की गुंजाईश

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बेंगलुरु। बेहद अहम और दिलचस्प बात है कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजों में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। हालांकि, भाजपा 104 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी लेकिन फिर भी बहुमत से अब भी 8 सीट दूर है। जबकि वहीं कांग्रेस ने जेडीएस को समर्थन देकर बहुमत का आंकड़ा जुटा लिया है। वैसे फिलहाल जहां अब सब कुछ राज्य के राज्यपाल के हाथ में हैं। वहीं काफी हद तक इस बहुमत जुटाने की जोर आजमाइश के बीच गुंजाईश तय करेंगी उन विधायकों की ख़्वाहिश जो येन-केन प्रकारेण अपने दलों का साथ छोड़ बागी तेवर दिखायेगें और सरकार बनाने में भाजपा की राह को आसान बनायेगें।

गौरतलब है कि जैसा कि भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार येदियुरप्पा ने आज बुधवार सुबह 10.30 बजे विधायक दल की बैठक में हिस्सा लिया, जहां उन्हें दल का नेता चुन लिया गया। इसके बाद वे राज्यपाल से मिले और सरकार बनाने का दावा पेश किया। साथ ही राजभवन से बाहर आने के बाद येदियुरप्पा ने कहा, हमने राज्यपाल के सामने अपनी बात रखी है। उन्होंने (राज्यपाल) ने कहा है कि वे विचार करने के बाद सूचना देंगे।

इसके साथ ही पार्टी विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद जेडीएस के कुमारस्वामी ने कहा वैसे तो  मुझे भाजपा और कांग्रेस, दोनों तरफ से समर्थन का ऑफर था। लेकिन मैंने 2004 और 2005 में भाजपा से हाथ मिलाने का फैसला किया था और यह फैसला मेरे पिता एचडी देवेगौड़ा के माथे पर काले धब्बे की तरह था। भगवान में अब मुझे यह काला दाग मिटाने का मौका दिया है। इसलिए मैंने कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने का फैसला किया है।

वहीं  कुमारस्वामी ने यह आरोप भी लगाया कि उनकी पार्टी के विधायकों को 100-100 करोड़ रुपए और कैबिनेट बर्थ का लालच दिया जा रहा है। कुमारस्वामी ने कहा, वे कांग्रेस नेताओं के साथ राजभवन जाएंगे और सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे। उनका मानना है कि सरकार वो ही बनायेगें।

जबकि तमाम दुश्वारियों के बावजूद भी भाजपा नेता प्रकाश जावड़ेकर ने ने दावे के साथ कहा है कि भाजपा लोकतांत्रिक तरीके से सरकार बनाएंगी। बकौल जावड़ेकर, कांग्रेस के कई विधायक बात से नाखुश है कि पार्टी जेडीएस से गठबंधन कर रही है। उनकी ये बात काफी हद तक सही भी है।

क्योंकि जैसा कि सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि बेंगलुरू के एक पांच सितारा होटल में हो रही जेडीएस विधायक दल की बैठक में दो विधायक नहीं पहुंचे हैं। इन दो विधायकों के नाम हैं – राजा वेंकटप्पा नायक और वेंकट राव नाडागौड़ा। इसके अलावा ये भी बताया जाता है कि कांग्रेस विधायक दल की बैठक में भी 78 में से 66 विधायक ही पहुंचे हैं। हालांकि कांग्रेस नेता एमबी पाटिल का कहना है कि कांग्रेस के सभी विधायक साथ हैं। उनके मुताबिक, भाजपा के 6 विधायक कांग्रेस के सम्पर्क में हैं।

इतना ही नही बल्कि खबरों के मुताबिक कर्नाटक में केपीजेपी पार्टी का विधायक आर शंकर भी बेंगलुरू में राज्यपाल भवन में भाजपाई खेमे में नजर आया है। ये सारी बातें बेहद अहम और काबिले गौर हैं। जेडीएस नेता सरवना ने कहा कि मुझे नहीं पता भाजपा हमारे विधायकों को क्या प्रलोभन दे रही है, लेकिन वो हमारे लोगों को कॉल कर रहे हैं। हालांकि, हमारे विधायक प्रतिक्रिया नहीं दे रहे। हम साथ हैं और कोई भी हमारी पार्टी को छू नहीं सकता।

हालांकि कांग्रेस ने जेडीएस विधायकों की नाराजगी की खबरों का खंडन किया है। कांग्रेस नेता गुलाम बनी आजाद और सिद्धारमैया ने कहा कि सभी विधायक जेडीएस के साथ हैं और उनका पार्टी पर भरोसा कायम है। कोई कहीं नहीं जा रहा। कांग्रेस नेता रामालिंगा रेड्डी ने कहा कि हमें हमारे सभी विधायकों पर भरोसा है। भाजपा हमारे विधायकों को पाने की पूरी कोशिश में लगी है। उन्हें लोकतंत्र में विश्वास नहीं है, भाजपा को बस सत्ता चाहिए।

कुल मिलाकर जैसा कि हालात हैं उसके मद्देनजर अब पूरा दारोमदार राज्यपाल पर है कि वो किसे सरकार बनाने के लिए बुलाते हैं। हालांकि अगर बात की जाये परिपाटी की उसके तहत परिपाटी सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने का मौका देने की रही है। वहीं अगर चुनाव पूर्व गठबंधन हो तो सबसे ज्यादा सीटों के आधार पर उसे मौका मिल सकता है। लेकिन कर्नाटक में चुनाव पूर्व गठबंधन नहीं है।

जिसके चलते त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में राज्यपाल को विवेकाधिकार से फैसला लेने का अधिकार है। ऐसे में जिस पार्टी या गठबंधन को पहले मौका मिल जाता है, उसे स्थिति का लाभ मिलने की संभावना बन सकती है। ये ही वजह है कि अब पहले मौका पाने की होड़ शुरू हो गई है।

माना जा रहा है कि चूंकि कांग्रेस और जदएस का चुनाव पूर्व गठबंधन नहीं था और भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है, इसलिए उसे पहला न्योता मिलेगा। सूत्रों की मानी जाए तो जदएस के कुछ विधायक भी भाजपा के साथ जाना चाहते हैं। ऐसे में स्थितियां बदलें तो आश्चर्य नहीं। अगर ऐसा हुआ तो भाजपा व राजग की सरकार 21 राज्यों में हो जाएगी। कांग्रेस और सिमटकर सिर्फ तीन राज्यों-पंजाब, मिजोरम और पुडुचेरी में रह जाएगी।

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