Wednesday , October 30 2024
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मायावती ने असम के एनआरसी मामले में चेताया, इसके लिए RSS और BJP को दोषी ठहराया

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नई दिल्ली। असम में 40 लाख लोगों को भारत की नागरिकता से वंचित करने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। इस मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जोरदार रस्साकशी और कवायदें जारी हैं। इस सबके बीच अब बसपा सुप्रीमों मायावती भी न सिर्फ भारत की नागरिकता से वंचित किये जाने वाले लोगों के पक्ष में खड़ी हो गई हैं बल्कि मायावती ने असम और केंद्र सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा कि बीजेपी ने धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों की नागरिकता समाप्त कर अपनी स्थापना का उद्देश्य प्राप्त कर लिया है।

गौरतलब है कि मायावती  ने चेतावनी दी है कि 31 दिसंबर 2018 को अंतिम सूची प्रकाशित होने के साथ देश में ऐसा उन्माद उभरेगा जिससे निपट पाना बहुत ही मुश्किल होगा। मायावती ने इस संबंध में जल्द ही सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की है। वहीं इस पूरे घटनाक्रम के पीछे आरएसएस और बीजेपी की संकीर्ण व विभाजनकारी नीतियों को दोषी ठहराया है।

इसके साथ ही बसपा सुप्रीमो ने नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन के आधार पर नागरिकता से बाहर किए गए लोगों का पक्ष लेते हुए आज कहा कि अगर वह लोग लंबे समय से असम में निवास कर रहे हैं और अपनी नागरिकता का सबूत नहीं दे पाए तो इसका यह कतई मतलब नहीं है कि उन्हें देश से बाहर कर दिया जाए।

इतना ही नही उन्होंने यहां तक कहा है कि  इन प्रभावित लोगों में ज्यादातर बंगाली मुसलमान हैं और भाषाई अल्पसंख्यकों में बांग्ला बोलने वाले गैर-मुस्लिम बंगाली हैं, इसलिये बंगाल में भी इसका दुष्प्रभाव काफी ज्यादा पड़ने वाला है, लेकिन बीजेपी इसका भी फायदा लेने का प्रयास कर रही है।

ज्ञात हो कि सोमवार को असम नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन द्वारा जारी फाइनल लिस्ट से करीब 40 लाख लोगों के नाम गायब थे। इसमें सिर्फ 2 करोड़ 89 लाख लोगों को भारतीय नागरिक माना गया है।

दरअसल नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस (एनआरसी) ने असम में वैध नागरिकों की पहचान के लिए यह दूसरा ड्राफ्ट जारी किया है। इसके जारी होने के पहले से ही राज्य के अल्पसंख्यकों में भय का माहौल व्याप्त था। ड्राफ्ट के जारी होते ही असम के साथ देश भर में राजनीति का नया दौर शुरू हो गया है।

क्योंकि इसके मुताबिक असम राज्य में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस (एनआरसी) में जिन व्यक्तियों के नाम नहीं होंगे उन्हें अवैध नागरिक माना जाएगा। इसमें उन भारतीय नागरिकों के नामों को शामिल किया जा रहा है जो 25 मार्च 1971 से पहले असम में रह रहे हैं। उसके बाद राज्य में पहुंचने वालों को बांग्लादेश वापस भेज दिया जाएगा।

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